देहरादून : निदेशक पंचायतराज निधि यादव ने हरेला पर्व को लेकर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के समस्त जिला पंचायतराज अधिकारी एवं अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत की बैठक ली । समस्त जिला पंचायतराज अधिकारी एवं अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत, उत्तराखण्ड (विडियो कान्फ्रेन्सिग के माध्यम से) सभी जनपदों के जिला पंचायतराज अधिकारियों एवं अपर मुख्य अधिकारियों से उनके द्वारा उक्त सम्बन्ध में अब तक की गयी तैयारियों तथा कार्ययोजना पर चर्चा एव विचार विमर्श किया गया, जिसमें अधिकांश जनपदों की तैयारियां संतोषजनक पायी गयीं किंतु जनपद चम्पावत, अल्मोड़ा एवं चमोली जनपद में अपेक्षित गति से तैयारी नहीं की गयी। इसे और सक्रियता पूर्वक किये जाने की आवश्यकता है।
निदेशक पंचायतराज निधि यादव ने कहा कि हरेला पर्व हमारे राज्य का एक प्रमुख त्योहार है और स्थानीय स्तर पद इस पर्व की बहुत प्रासगिकता है तथा इस वर्ष यह पर्व 16 जुलाई 2024 को मनाया जायेगा। यह पर्व वृक्षों की महत्वपूर्ण भूमिका को समझाने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। हरेला पर्व के दौरान लोग नए पौधे लगाने के लिए उत्सुक होते हैं और इसे एक सामाजिक कार्यक्रम के रूप में मनाते हैं। इस अवसर पर वृक्षारोपण के बारे में जागरूकता फैलाई जाती है और लोगों में पर्यावरण संरक्षण की भावना को मजबूत किया जाता है। इस प्रक्रिया में वनीकरण “Afforestation” और पुर्नवनीकरण “Reforestation” दोनों ही गतिविधिया महत्वपूर्ण है।
निदेशक पंचायतराज निधि यादव ने बताया कि हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी वन विभाग, उद्यान विभाग सहित अधिकांश सरकारी विभागों द्वारा इस पर्व पर वृहद वृक्षारोपण अभियान चलाया जा रहा है। इस अवसर पर वृक्षारोपण और संरक्षण में पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। निदेशक पंचायतराज निधि यादव ने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था गाँवों में स्थानीय सरकार का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो ग्रामीण विकास और पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाती है। वृक्षारोपण और वृक्षों के संरक्षण में पंचायती राज संस्थाओं का योगदान न केवल पर्यावरण की दृष्टि से बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
निदेशक पंचायतराज निधि यादव ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2030 तक प्राप्त किए जाने वाले 17 SDGs जिन्हें पंचायतों की सामान्य समझ के लिए 9 थीमों में समाहित किया गया है, के लिए भी वृक्षारोपण अत्यन्त महत्वपूर्ण अवयव है। सतत विकास लक्ष्यों SDGs और वृक्षारोपण के बीच गहरा संबंध है। सतत विकास लक्ष्यों का उद्देश्य एक ऐसी दुनिया बनाना है जहां सभी लोग शांति, समृद्धि और सततता के साथ रह सकें। इन लक्ष्यों में पर्यावरणीय स्थिरता और जैव विविधता का संरक्षण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और वृक्षारोपण इन उद्देश्यों को प्राप्त करने का एक प्रभावी माध्यम है। उक्त के अंतर्गत SDG 13 “जलवायु कार्रवाई SDG 15 “स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र का जीवन SDG 6 ‘स्वच्छ जल और स्वच्छता SDG 1 “गरीबी उन्मूलन” और SDG 2 “भूख समाप्ति SDG 3 “अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण’ को प्राप्त किया जा सकता है, यदि 9 थीमों की दृष्टि से देखें तो यह अभियान राभी थीमों के उद्देश्य की पूर्ति करता है।
निदेशक पंचायतराज निधि यादव ने कहा कि पंचायती राज संस्थाएं गाँवों में वृक्षारोपण अभियानों का आयोजन और संचालन करेंगी। वे स्थानीय निवासियों को वृक्षारोपण के लाभों के बारे में जागरूक करेंगी और उन्हें इस कार्य में भाग लेने के लिए प्रेरित करेंगी। सभी बाउँण्ड्री युक्त सरकारी भवनों एवं परिसरों जैसे पंचायत भवन, पंचायत लर्निंग परिसर, कॉम्पैक्टर के आस पास, स्कूल, आँगनबाड़ी केंन्द्र, प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, जल जीवन मिशन की पानी की टंकी का परिसर, कॉमन सर्विस सेन्टर आदि में इनसे संबंधित विभागों से समन्वय बनाकर यथावश्यक फलदार जैसे- आम, जामुन, निंबु, कटहल इत्यादि और छायादार जैसे पीपल, बरगद, नीमग आदि पौधारोपण के साथ ही परिसरों के सौन्दर्याकरण हेतु सजावटी पौधों का भी रोपण प्राथमिकता के आधार पर किया जाये क्योंकि बॉउण्ड्री युक्त संरक्षित परिसरों में उनका सरवाइवल रेट जनसामान्य को फल/छाया का लाभ मिल सके। स्थानीय आवश्यकता के अनुसार ही ऐसे स्थानों पर जहां से पेड़ काटे गये हों और भू-कटाव की आशंका हो वहां की स्थानीय मिट्टी और पर्यावरण के अनुरूप ही पौधों का चयन कर पौधारोपण किया जाये। इसी प्रकार पहाड़ी ढलानों पर मृदा-क्षरण को रोकने और भूजल रिचार्ज के लिये बॉज आदि स्थानीय पारम्परिक पौधों का आरोपण किया जाये। उक्त के अतिरिक्त पंचायत अथवा अन्य सरकारी खाली भूमि और जिला पंचायत की परिसम्पत्तियों एवं सड़कों के किनारे भी वृक्षारोपण किया जाये।
निदेशक पंचायतराज निधि यादव ने कहा कि पंचायती राज संस्थाए वृक्षों के संरक्षण में भी अहम भूमिका निभायेंगी, वे नियमित रूप से वृक्षों की देखभाल, पानी देने, और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगी इसके साथ ही, वे ग्रामीणों को वृक्षों के संरक्षण के महत्व के बारे में शिक्षित करेंगी और उन्हें पेडों को काटने या नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए प्रोत्साहित करेंगी । वृक्षारोपण और संरक्षण को अपने विकास कार्यक्रमों का अभिन्न अंग बनाते हुए वे जीपीडीपी, बीपीडीपी, डीपीडीपी योजनाओं में वृक्षारोपण को शामिल करेंगी। प्रायः देखा जाता है कि अत्यधिक छोटे आकार के पौधारोपण के कारण उनका सरवाइवल डर कम होता है इसलिये पूर्व से ही वन एवं उद्यान विभाग के साथ और स्थानीय निजी नर्सरियों से अपेक्षाकृत बड़े पौधों को प्राप्त कर लिया जाये, इसके लिये 15वें वित्त के टाइड फण्ड से भुगतान किया जा सकता है।
निदेशक पंचायतराज निधि यादव ने कहा पंचायती राज संस्थाएं समुदाय के सभी सदस्यों को वृक्षारोपण और संरक्षण में भाग लेने के लिए प्रेरित करेंगी वे विशेषकर महिलाओं और युवाओं को इस कार्य में शामिल करेंगी जिससे वृक्षारोपण और संरक्षण के प्रयासों को व्यापक समर्थन मिलता है और यह सुनिश्चित हो जिससे कि भविष्य की पीढ़ियां भी इस कार्य को जारी रखें। इस प्रकार, पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका वृक्षारोपण और संरक्षण में अत्यंत महत्वपूर्ण है और उनके प्रयासों से पर्यावरण और समाज दोनों को लाभ होगा ।
यह अभियान हरेला 16 जुलाई, 2024 से आरम्भ होकर 15 अगस्त, 2024 तक चलेगा और 16 अगस्त, 2024 तक एक समग्र विस्तृत तथ्यात्मक सचित्र रिपोर्ट प्रस्तुत की जाये और हरेला पर्व 16 जुलाई, 2024 को किये गये वृक्षारोपण अभियान की सचित्र दस्तावेज 16 जुलाई, 2024 को ही निदेशालय को प्रेषित कर दिया जाये। यह कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण है तथा इसमें त्रिस्तरीय पंचायतों के समन्वय और सामंजस्य के लिये अन्य विभागों के साथ ही जिला पंचायत राज अधिकारी एवं अपर मुख्य अधिकारी आपस में प्रति दिन समन्वय बनाकर पंचायत टीम के रूप में अपने समस्त अधिनस्त कर्मचारी/अधिकारियों के साथ ही त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों को भी लगातार प्रोत्साहित करते रहेंगें। उक्त कार्य में संख्यात्मक मात्रा के साथ गुणवत्ता पर भी यथोचित ध्यान दिया जाये। इस कार्य के महत्व को देखते हुये उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारियों / कमचारियों एवं त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों को निदेशालय स्तर से पुरस्कृत भी किया जायेगा। अतः उक्त कार्य में किसी भी स्तर पर उदासीनता नहीं बरती जायेगी। हरेला पर्व पर वृक्षारोपण की तैयारियों के सम्बन्ध में की गयी वीडियो कांफ्रेंसिंग में संयुक्त निदेशक निदेशालय पंचायतीराज राजीव कुमार नाथ त्रिपाठी, उप निदेशक निदेशालय पंचायतीराज मनोज कुमार तिवारी, जिला पंचायराज अधिकारी रमेश चन्द्र त्रिपाठी एवं वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से समस्त डीपीआरओ एवं अपर मुख्य अधिकारी पंचायत सहित आदि अधिकारी / कर्मचारी उपस्थित रहे ।