विकासनगर : श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि पर भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक पर्व रक्षाबंधन इस वर्ष 9 अगस्त को मनाया जाएगा। यह पर्व सावन माह में होने के कारण श्रावणी या सावनी के नाम से भी जाना जाता है। इस अवसर पर यमुना पुत्र आचार्य डॉ. सुरेश उनियाल “महाराज” ने पर्व की महत्ता, शुभ मुहूर्त और इससे जुड़े धार्मिक पहलुओं पर प्रकाश डाला।
आचार्य उनियाल ने बताया कि रक्षाबंधन में राखी या रक्षासूत्र का विशेष महत्व है। परंपरागत रूप से यह कच्चे सूत के धागे से बनाई जाती है, हालांकि आजकल रेशमी, सोने और चांदी की राखियां भी प्रचलन में हैं। उन्होंने कहा, “धार्मिक दृष्टि से सबसे अधिक महत्व कच्चे धागे से बनी राखी का ही है।”
उन्होंने बताया कि रक्षाबंधन से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं, जैसे महाभारत में द्रौपदी द्वारा श्रीकृष्ण को राखी बांधना, रानी कर्णावती द्वारा हुमायूँ को राखी भेजना, और माता लक्ष्मी द्वारा राजा बलि को राखी बांधकर भगवान विष्णु को उनके वचन से मुक्त कराना।
इस वर्ष भद्रा का कोई दोष नहीं रहेगा। भद्रा काल 9 अगस्त को सुबह 1:52 बजे समाप्त हो जाएगा। शुभ मुहूर्त सुबह 5:39 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक रहेगा। पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त दोपहर 1:40 बजे से प्रारंभ होकर 9 अगस्त दोपहर 1:24 बजे तक रहेगी, जबकि श्रवण नक्षत्र दोपहर 2:24 बजे तक रहेगा।
आचार्य उनियाल ने कहा, “भाई-बहन जब भी मिलते हैं, वह समय शुभ ही होता है। नारी का सम्मान करें, हर बहन को बहन समझें, यही सच्चा रक्षाबंधन है। जिस घर में बहनों और भांजों का आदर नहीं, वह घर नरक के समान है और जहां उनका सम्मान होता है, वह घर बैकुंठ बन जाता है।” उन्होंने समाज से आह्वान किया कि इस रक्षाबंधन पर बहनों की रक्षा का संकल्प लें, तभी पर्व का वास्तविक उद्देश्य पूरा होगा।