फेक न्यूज लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा: संसद की समिति ने दिए कड़े कदम उठाने के सुझाव

नई दिल्ली। संसद की संचार और सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति ने फेक न्यूज को सार्वजनिक व्यवस्था और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए गंभीर खतरा करार दिया है। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की अध्यक्षता वाली इस समिति ने अपनी मसौदा रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपी है। रिपोर्ट में फेक न्यूज पर अंकुश लगाने के लिए दंडात्मक प्रावधानों में संशोधन, जुर्माना बढ़ाने और मीडिया संगठनों में जवाबदेही तय करने जैसी अहम सिफारिशें की गई हैं।

समिति ने सुझाव दिया है कि देश के सभी प्रिंट, डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संगठनों में फैक्ट चेक तंत्र और आंतरिक लोकपाल को अनिवार्य किया जाए। साथ ही, संपादकीय स्तर पर संपादकों और विषय प्रमुखों तथा संस्थागत विफलताओं के लिए मालिकों और प्रकाशकों को जिम्मेदार ठहराने की बात भी कही गई है।

फर्जी खबरों पर रोक के लिए मौजूदा कानूनों में बदलाव की जरूरत बताते हुए समिति ने जुर्माने की राशि बढ़ाने की सिफारिश की है, ताकि यह प्रकाशकों और रचनाकारों के लिए निवारक साबित हो सके। समिति ने यह भी कहा है कि गलत सूचना की परिभाषा स्पष्ट की जाए और इसे संविधान के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकारों के संतुलन को ध्यान में रखते हुए लागू किया जाए।

फेक न्यूज पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए समिति ने फ्रांस जैसे देशों के कानूनों का उदाहरण दिया और सीमा पार से फैलने वाली गलत सूचना पर अंकुश के लिए एक अंतर-मंत्रालयी कार्यबल बनाने का सुझाव दिया। इस कार्यबल में कानूनी विशेषज्ञों के साथ-साथ सूचना एवं प्रसारण, विदेश मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के प्रतिनिधि शामिल किए जाएं।

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