भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति की द्विमासिक समीक्षा बैठक का ऐलान करते हुए Repo Rateमें लगातार 11वीं बार कोई बदलाव नहीं किया है। आरहीआई ने रेपो रेट 6.5% पर स्थिर रखा है। आरबीआई के इस कदम के बाद सस्ते लोन और ईएमआई घटने का इंतजार कर रहे लोगों को झटका लगा है। अब ईएमआई घटने के लिए फरवरी तक का इंतजार करना पड़ेगा।
बता दें कि एमपीसी मौद्रिक नीति के बारे में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई है जिसके प्रमुख रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास है। इस समिति में गर्वनर समेत कुल 6 सदस्य हैं। रिजर्व बैंक ने फरवरी, 2023 से ही रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा है। सरकार ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने का दायित्व सौंपा है कि खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत की घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनी रहे।
CRR में 0.50% की कटौती
RBI ने बैंकों में लिक्विडिटी को बढ़ाने के लिए CRR में 0.50% की कटौती की है। आरबीआई ने कैश रिजर्व रेश्यो यानी नकद आरक्षी अनुपात को 4.5% से घटाकर 4% कर दिया है। RBI के इस फैसले से बैंकिंग सिस्टम में 1.16 लाख करोड़ की लिक्विडिटी बढ़ेगी। RBI के इस फैसले स बैंक के पास कर्ज देने के लिए ज्यादा पैसा होगा। इसका इस्तेमाल वो आसानी से लोन देने में करेंगे।
महंगाई से देश की जीडीपी ग्रोथ पर बुरा असर
RBI गवर्नर ने कहा कि आसमान छूती महंगाई से देश की जीडीपी ग्रोथ पर बुरा असर हुआ है। इसके चलते दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ अनुमान से काफी कम रहा। RBI
गर्वनर ने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सुस्ती से जीडीपी की रफ्तार धीमी हुई। RBI ने चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी का अनुमान 7.2% से घटाकर 6.6% रहने का अनुमान लगाया है। RBI ने वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के लिए जीडीपी का अनुमान 6.9% कर दिया है।