नई दिल्ली : उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने संसद में डाक विभाग की भर्ती नीति को लेकर बड़ा मुद्दा उठाया। उन्होंने सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि ग्रामीण डाक सेवकों (GDS) और पोस्टमास्टर पदों की भर्ती राज्य स्तर पर होनी चाहिए, ताकि स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता मिल सके।
क्या है मामला?
हाल ही में राष्ट्रीय स्तर पर एक समान चयन प्रक्रिया के तहत डाक सेवकों की भर्ती की गई थी। हालांकि, उत्तराखंड के कठिन पहाड़ी इलाकों, स्थानीय भाषा-बोली की बाधाओं और दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण कई बाहरी अभ्यर्थियों ने अपनी नियुक्ति स्थल पर जॉइनिंग नहीं की।
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नियुक्तियां मंडल स्तर पर होती थीं
सांसद भट्ट ने बताया कि पहले यह नियुक्तियां मंडल स्तर पर होती थीं, जिससे स्थानीय बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलता था और डाक सेवाएं सुचारू रूप से चलती थीं। लेकिन नई नीति के कारण स्थानीय उम्मीदवारों को नुकसान हो रहा है, जिससे कई पद खाली रह गए हैं और ग्रामीण इलाकों में डाक सेवाओं पर असर पड़ा है।
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उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था
सांसद ने इस बात पर जोर दिया कि उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था आज भी मनी ऑर्डर पर आधारित है। गांवों में रहने वाले लोग डाक सेवाओं पर निर्भर हैं, ऐसे में अगर स्थानीय स्तर पर भर्ती नहीं होगी, तो ग्रामीणों और प्रवासी उत्तराखंडियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ेगा।
सांसद महेंद्र भट्ट की प्रमुख मांगें
1. डाक सेवकों और पोस्टमास्टर की भर्ती प्रक्रिया राज्य स्तर पर की जाए, ताकि उत्तराखंड के स्थानीय युवाओं को अधिक अवसर मिलें।
2. स्थानीय भाषा-बोली को प्राथमिकता दी जाए, ताकि ग्रामीण इलाकों में संचार सेवाएं बाधित न हों।
3. पहले की तरह मंडल स्तर पर भर्ती प्रक्रिया लागू की जाए, जिससे क्षेत्र के युवा लाभान्वित हो सकें।
4. उत्तराखंड में डाक सेवाओं का डिजिटलीकरण जरूरी है, लेकिन इसके साथ ही पहाड़ के युवाओं के कौशल को भी महत्व दिया जाना चाहिए।