आलू तो आप खाते ही होंगे। आलू एक ऐसी सब्जी है, जो किसी भी सब्जी में मिक्स हो सकता है। अगर कुछ भी नहीं है, तब भी आलू की सब्जी बनाई जा सकती है। घरों में और कुछ सब्जी भले ही ना हो, लेकिन लोग मंडी से आलू हमेशा बड़ी मात्रा में लोकर घर में जरूर स्टोर करते हैं। लेकिन, आपका पता है कि मुनाफाखोरों ने आलू को बीमारी का घर बनाने शुरू कर दिया है। ऐसी कई तरह की रिपोर्टें सामने आई है।
पुराने आलू को केमिकल से नया बनाने…
बदलते दौर में फल और सब्जियों को जल्द तैयार करने के लिए कई तरह के केमिकल का प्रयोग किया जाता है। यही केमीकल बीमारियों का कारण बन रहा है। आपने मिलाटव और केमिकल के प्रयोग पैदावार बढ़ाए जाने के बारे में कई बार सुना होगा। सब्जियों को ताजा रखने, लौकी-तोरई व कद्दू को जल्दी बड़ा करने और फलों को केमिकल से पकाने के बारे में भी सुना ही होगा, लेकिन आपको कभी पुराने आलू को केमिकल से नया बनाने के मारे में नहीं सुना होगा। लेकिन, मुनाफाखोरों ने लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने का एक और नया तरीका खोज निकाला है।
आलू की जगह जहर खिला रहे हैं
मुनाफे के लालच में कारोबारी आपको आलू की जगह जहर खिला रहे हैं। बाजार में अभी जितना भी नया आलू बिक रहा है, उसमें से 80 प्रतिशत आलू वो है, जो पुराने आलू को केमिकल से तैयार कर नया बनाया गया है। पुराने आलू से नया आलू कैसे तैयार किया जा रहा है और इसका हेल्थ पर क्या असर पड़ता है? नए असली और नकली आलू को कैसे पहचानें? इसके बारे में हम आपको बताने वाले हैं।देशभर की मंडियों में नया आलू अब तक आया ही नहीं है, जो आया भी वह बहुत कम मात्रा में है। ऐसे में सवाल यह है कि देशभर की मंडियों में नया आलू कहां आ रहा है? कौन है जो पुराने आलू को नया बना रहा है।
पुराने से नया आलू ऐसे तैयार होता है
जानकारों की मानें तो कृषि केंद्रों पर अमोनिया नाम का केमिकल 50 रुपये किलो में आसानी से मिल जाता है। मिलावटखोर अमोनिया को पानी में अच्छे से घोलते हैं। फिर उसमें पुराने आलू को डालकर करीब 14 घंटे के लिए छोड़ देते हैं। 14 से 15 घंटे बाद आलू को निकाला जाता है, तो उसके छिलके पतले हो जाते हैं और आसानी से छुटने लगते हैं।
आलू को मिट्टी में डालकर सुखाया जाता है
केमिकल से निकालने के बाद आलू को मिट्टी में डालकर सुखाया जाता है। और फिर बाजार में बिक्री के लिए भेज सप्लाई कर दिया जाता है। यानी 40 रुपये में बिकने वाले सस्ते से सस्ते पुराने आलू को 14 घंटे में नया आलू बना दिया जाता है। इस तरह मिलावटखोर पुराने से नए आलू तैयार कर रहे हैं। अमोनिया से 14 घंटे में न सिर्फ पुराने से नया आलू तैयार हो जाता है, बल्कि आलू का वजन भी बढ़ जाता है। जहां पुराना आलू 40 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। वहीं, नया आलू 50 रुपये प्रति किला बिक रहा है।
असली नए और केमिकल वाले आलू की पहचान
असली नए आलू की सबसे पहली पहचान यह है कि इस पर मिट्टी लगी होती है, वो धुलने पर एक बार पानी में डालने पर नहीं निकलती है। जबकि केमिकल से तैयार आलू पर जो मिट्टी लगी होती है, वो आलू को पानी में डालते ही घुल जाती है और आलू साफ हो जाता है।
असली नया आलू काटने पर पानी नहीं छोड़ता, केमिकल से तैयार आलू काटने पर किनारों से पानी छोड़ता नजर आएगा।
खतरनाक है अमोनिया वाला आलू
- शरीर में सामान्य तौर पर 15-45 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर अमोनिया होती है। हमारा शरीर खुद अमोनिया बनाता है।
- शरीर में अमोनिया की मात्रा अधिक होने पर इंसान की दिमागी हालत बिगड़ सकती है।
- लिवर की बीमारी हो सकती है।
- थकान और कमजोरी महसूस होती रहेगी।
- बच्चों की किडनी फेल हो सकती है।
- केमिकल वाले आलू खाने से पेट में सूजन, कब्ज और भूख न लगने की समस्या हो सकती है।
- शरीर में अमोनिया का स्तर ज्यादा होने पर जान भी जा सकती है।