प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तरकाशी दौरा: मां गंगा की पूजा और पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर

उत्तरकाशी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के अपने दौरे के दौरान कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में भाग लिया। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य धार्मिक आस्था, पर्यटन और स्थानीय विकास को बढ़ावा देना था।

मां गंगा की शीतकालीन प्रवास स्थल पर पूजा-अर्चना प्रधानमंत्री मोदी ने सुबह करीब 9:30 बजे मुखवा गांव में मां गंगा के शीतकालीन प्रवास स्थल पर विशेष पूजा-अर्चना की। मुखवा गांव, जो उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, शीतकाल के दौरान गंगोत्री धाम की प्रतिमा का प्रवास स्थल होता है। यहां तीर्थ पुरोहितों के परिवारों सहित लगभग 450 परिवार निवास करते हैं।

हर्षिल में बाइक रैली और पैदल यात्रा को हरी झंडी इसके बाद, प्रधानमंत्री ने हर्षिल पहुंचकर एक बाइक रैली और पैदल यात्रा को हरी झंडी दिखाई। इस पहल का उद्देश्य उत्तराखंड में साहसिक और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना है। हर्षिल, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है, जहां देशभर से पर्यटक प्रकृति और आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करने आते हैं।

जनसभा में स्थानीय जनता को संबोधन हर्षिल में आयोजित एक जनसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने स्थानीय जनता को संबोधित करते हुए कहा, “उत्तराखंड सिर्फ देवभूमि ही नहीं, बल्कि पर्यटन और साहसिक खेलों की भी धरती है। हमें इसे आत्मनिर्भर और वैश्विक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करना होगा।”

उन्होंने सरकार की ओर से चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं पर भी प्रकाश डाला, जिसमें होमस्टे योजना, पहाड़ी पर्यटन को बढ़ावा देने की नीति और स्थानीय उत्पादों के वैश्विक बाजार में विस्तार की योजनाएं शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा देश की धरोहर हैं, और सरकार इसे सशक्त करने के लिए निरंतर प्रयासरत है।

शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा उत्तराखंड में शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ जैसे तीर्थ स्थलों को केवल ग्रीष्मकाल के बजाय शीतकाल में भी पर्यटन और धार्मिक गतिविधियों के लिए विकसित किया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री की इस यात्रा से उत्तराखंड के पर्यटन व्यवसाय, स्थानीय रोजगार और धार्मिक स्थलों की महत्ता को और अधिक बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इससे न केवल स्थानीय लोगों को आर्थिक लाभ होगा, बल्कि देश-विदेश के श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए भी नए अवसर खुलेंगे।

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