उत्तराखंड: एक गलति और दांव पर जिंदगी, ना पुल ना ट्रॉली, ऐसे पार कर रहे नदी
मोरी: सरकार विकास के दावे करती है। हर दिन लाखों खर्च कर टीवी चैनलों और अखबारों में विज्ञापनों के जरिए उपलब्धियां गिनाई जाती हैं। चुनाव में भी हर साल ऐसे ही दावे किए जाते हैं। असल मुद्दों से भटका कर लोगों को दूसरे मसलों में उलझा दिया जाता है। लेकिन, जब जनता को असल में सरकार और जनप्रतिनिधियों की जरूरत होती है, तो कोई साथ नजर नहीं आता है। यही हाल मोरी ब्लॉक के लिवाड़ी गांव का भी है। यहां गांव तक पहुंचना जिंदगी को दांव पर लगाने जैसा है।
लिवाड़ी गांव के लिए जाने वाले एक मात्र रास्ते पर आज तक पुल निर्माण नहीं हुआ है। यहां लोगों को नदी आर-पार करने के लिए पहले तो ट्रॉली का सहारा लेना पड़ रहा था। लेकिन, जब से ट्रॉली बंद हुई है, लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि जब तमाम गुहारों के बाद भी जिम्मेदार विभागों की नींद नहीं टूटी तो ग्रामीणों ने खुद अस्थाई व्यवस्था करने का फैसला लिया। ग्रामीणों की आवाजाही अब उसी भरोसे है।
यह समस्या अब और बढ़ने वाली है। दरअसल, सर्दियों के आने से पहले लोग अपने लिए जरूरी राशन जमा कर लेते हैं। उच्च हिमालयी क्षेत्र होने के बारण यहां बहुत अधिक बर्फ पड़ती है, जिसके चलते लोगों को राशन पहले ही जमा करना होता है। इन दिनों लोग आने वाले तीन-चार महीनों के लिए राशन जमा कर लेते हैं, लेकिन यहां पुल और ट्रॉली नहीं होने के कारण लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
लोगों को अपने गांव तक पहुंचने के लिए सुपिन नदी को पार करना होता है। बरसात से पहले भी ग्रामीणों ने अपने प्रयासों से यहां एक अस्थाई पुल बनाया था। वह बरसात में बह गया। अब फिर से लोगों ने एक और अस्थाई जुगाड़ का सहारा लिया। इस पर हर वक्त जान का खतरा बना रहता है। जरा सा पैर फिसला या आप डगमगाए तो सीधे नदी में जा गिरेगे। नदी में गिरने से एक बात तो साफ है कि या तो आप गंभीर घायल हो जाएंगे या आपकी जान भी जा सकती है।
उत्तराखंड: एक गलति और दांव पर जिंदगी, ना पुल ना ट्रॉली, ऐसे पार कर रहे नदी