नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन: 16 की मौत, 200 से अधिक घायल

काठमांडू: नेपाल की राजधानी काठमांडू सहित देश के कई शहरों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ जनाक्रोश भड़क गया है। जनरेशन जेड (Gen Z) के युवाओं की अगुवाई में शुरू हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन हिंसक हो गए, जिसमें पुलिस की फायरिंग में कम से कम 16 लोगों की मौत हो गई और 200 से अधिक लोग घायल हुए।

यह घटना नेपाल की राजनीतिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है, जहां भ्रष्टाचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे प्रमुखता से उभर आए हैं। प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू के न्यू बानेश्वर इलाके में संसद भवन के परिसर में घुसने का प्रयास किया, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने आंसू गैस, वॉटर कैनन और रबर बुलेट्स का इस्तेमाल किया।

स्थिति बिगड़ने पर पुलिस ने लाइव गोलीबारी भी की, जिसमें कई युवा सिर और छाती में गोली लगने से शहीद हो गए। नेपाल पुलिस के अनुसार, नेशनल ट्रॉमा सेंटर में 7, सिविल अस्पताल में 2 और अन्य चिकित्सा संस्थानों में बाकी मौतें दर्ज की गईं।

घायलों का इलाज विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है, जहां ब्लड डोनेशन के लिए लंबी कतारें लगी हुई हैं। सोशल मीडिया बैन का पृष्ठभूमि नेपाल सरकार ने 4 सितंबर को फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, यूट्यूब, एक्स (पूर्व ट्विटर), रेडिट, लिंक्डइन और सिग्नल समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया।

संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार, ये कंपनियां सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद स्थानीय पंजीकरण, कर भुगतान और शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करने में विफल रहीं। सरकार का दावा है कि फर्जी आईडी से नफरत फैलाना, फेक न्यूज और साइबर अपराध रोकने के लिए यह कदम जरूरी था।

हालांकि, केवल टिकटॉक, वाइबर और कुछ अन्य ऐप्स ने पंजीकरण कराया, जिससे वे अब भी सक्रिय हैं। नेपाल के लगभग 90% युवा इन प्लेटफॉर्म्स पर निर्भर हैं – फेसबुक के 13.5 मिलियन और इंस्टाग्राम के 3.6 मिलियन यूजर्स हैं।

बैन से छोटे व्यवसाय, शिक्षा और विदेश में रहने वाले नेपाली मजदूरों का संपर्क प्रभावित हुआ है। प्रदर्शनकारी इसे सेंसरशिप का प्रयास बता रहे हैं, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। यह आंदोलन ‘Gen Z Revolution’ के नाम से जाना जा रहा है, जिसमें 16-25 वर्ष के युवा प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।

सुबह 9 बजे मैतिघर मंडला से शुरू हुए प्रदर्शन में हजारों छात्र अपनी यूनिफॉर्म और किताबें लेकर सड़कों पर उतरे। वे राष्ट्रीय ध्वज लहराते हुए ‘सोशल मीडिया बंद न करें, भ्रष्टाचार बंद करें’, ‘अनबैन सोशल मीडिया’ और ‘युवा भ्रष्टाचार के खिलाफ’ जैसे नारे लगा रहे थे। एनजीओ ‘हामी नेपाल’ ने इसका आयोजन किया, जो मानवीय सहायता के लिए जाना जाता है।

प्रदर्शन काठमांडू से आगे पोखरा, बिराटनगर, भारतपुर, बुटवल, चितवन और नेपalgunj तक फैल गया। ऑनलाइन, प्रदर्शनकारी वीपीएन और टिकटॉक का इस्तेमाल कर समन्वय कर रहे हैं। वायरल वीडियो में नेताओं के बच्चों की लग्जरी लाइफस्टाइल को साधारण नेपाली युवाओं की गरीबी से जोड़कर #NepoKid और #NepoBabies जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।

युवा बेरोजगारी (प्रति दिन 2,000 नेपाली विदेश पलायन), भ्रष्टाचार (जैसे 2017 का एयरबस डील घोटाला) और ओली सरकार की निष्क्रियता से तंग हैं। सरकार की प्रतिक्रिया: कर्फ्यू और सेना तैनात काठमांडू जिला प्रशासन ने दोपहर 12:30 बजे से रात 10 बजे तक कर्फ्यू लगा दिया, जो संसद, राष्ट्रपति भवन, उपराष्ट्रपति निवास, प्रधानमंत्री आवास और संवेदनशिक क्षेत्रों तक फैला।

नेपाल आर्मी को न्यू बानेश्वर में तैनात किया गया है। ‘शूट एट साइट’ के आदेश जारी हैं, और इंटरनेट सेवाएं बाधित रहीं। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कैबिनेट बैठक बुलाई, जहां उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय सम्मान से बड़ा कुछ नहीं।

विपक्षी दल सीपीएन (माओइस्ट सेंटर) और राष्ट्रिय स्वतंत्र पार्टी ने बैन की निंदा की और ओली के इस्तीफे की मांग की। नेपाल नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन ने पुलिस की अत्यधिक बल प्रयोग की आलोचना की, जबकि अंतरराष्ट्रीय संगठन जैसे कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स ने इसे प्रेस फ्रीडम के लिए खतरा बताया। भारत ने नेपाल सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी है।

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